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तन्हा तन्हा कैसे जिएं हम,आती तेरी याद। रूठो न तुम

तन्हा तन्हा कैसे जिएं हम,आती तेरी याद।
रूठो न तुम दूर ना जाओ मुझसे मेरे चांद।।

माना कि सब दोष मेरा है,बन बैठी ये दूरी,
समझो न ये दिल की हालत मेरी ये मज़बूरी।
किसे सुनाऊं कौन सुनेगा,मेरी ये फरियाद।।
रूठो न तुम दूर न जाओ.........................

बसी हुई है इन आंखों में,तेरी मूरत सजनी,
दिन तो बीत ही जाता पर बीते नहीं ये रजनी।
तेरे पहले भी ना कुछ मैं और ना तेरे बाद।।
रूठो न तुम दूर न जाओ..........................

हार गया हूं वक्त से लड़कर,आकर गले लगा लो,
नई उमंगें भर सीने में फिर से तुम धड़का दो।
हर लो अपने "हृदय" के सारे दुख और कष्ट विषाद।।
रूठो न तुम दूर न जाओ..........................

©Chanchal Hriday Pathak
  #रूठो_न_तुम_दूर_न_जाओ_मुझसे_मेरे_चांद