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चूमकर अपने वतन की मिट्टी चूमकर अपने वतन की मिट्ट

चूमकर अपने वतन की मिट्टी 

चूमकर अपने वतन की मिट्टी,
हिंद की रक्षा को वह चला।
धूल चटा कर शत्रु को उसने,
टाली वतन के सर से बला।

हमको सुरक्षित रखा है उसने,
स्वयं ही दुश्मन से जा लड़ा।
उन्हें गोलियों से छलनी करके,
नाम कर लिया अपना बड़ा।

सभी की आँखों का तारा है,
देश का अपना वीर जवान।
धरती माता भी इसको चाहे,
ऐसा ही देखो ये है धनवान।

नई - नई वे तरकीब लगाता,
रिपु को दे मुंँह तोड़ जवाब।
तिरंगे को देख जोश जगाता,
पा जाता फिर वह खिताब।

चूमकर अपने वतन की मिट्टी,
हिंद की रक्षा को वह चला।
हो गया छलनी गोलियों से पर,
मुश्किल से नहीं वह टला।

लड़ते लड़ते बलिदान दे दिया,
ऐसा था वो कर्मठ बलवान।
तिरंगा भी उससे लिपटा आया,
पाया उसने ऐसा सम्मान।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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चूमकर अपने वतन की मिट्टी 

चूमकर अपने वतन की मिट्टी,
हिंद की रक्षा को वह चला।
धूल चटा कर शत्रु को उसने,
टाली वतन के सर से बला।
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Devesh Dixit

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