तेरे मुखड़े को देखकर एक ख्वाब बना रहा था मैं तेरे

तेरे मुखड़े को देखकर एक ख्वाब बना रहा था मैं
तेरे साथ जीने - मरने के सपने सजा रहा था मैं
और सुनकर तेरे रिश्ते की बात बिखर सा गया
लेकिन तेरे सामने फिर भी मुस्कुरा रहा था मैं!!

हां एक बात है दिल में जो तुम्हे बतानी है
मुझे आज तुम्हे अपनी फीलिंग सुनानी है!!

मेरी बातों से तुम नाराज या फिर उदास मत होना
इश्क बेपनाह किया है तुमसे ये सुनकर हैरान मत होना!!

देखो सच ये है कि मुझे बुरा लगा पर मैं तुमसे नाराज नहीं
हां ये भी सच है कि दिल टूटा है मेरा पर मैं उदास नहीं
और हमेशा तुम्हारी खुशी की फरियाद की है मैंने रब से
मिले तुम्हे सारे जहां की खुशियां इससे बढ़कर मेरा कोई अरमां नही!!

और अंत में बस इतना ही कहना
है मुझे तुमसे:

तुझसे बेमतलब ही तकरार किए जा रहा था मैं
बिन मतलब ही तेरा दिल भी दुखा रहा था मैं
और ये जो कुछ दिन तक तूझसे बात नही की मैने
खुद को तेरे बिन जीना सीखा रहा था मैं!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi
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