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Indresh Dwivedi

वो हाथ जो आज कांपने लगे है कभी उन्होंने ही हमे चलना सिखाया था
अपना सब कुछ लुटाकर उन्होंने ही तो हमे उड़ना सिखाया था
खर्च करदी पूरी जवानी अपनी हमारे लिए
और वही कामयाब बेटा बोलता है कि कुछ खास नही किया तुमने तो बस अपना फर्ज निभाया था!!

दो जोड़ी कपड़े में एक बाप ने बिता दिए कई साल
यहां तक कि औलाद की खातिर बेच दी उसने अपनी खाल
और बड़ा होने के बाद बेटा गिरगिट सा एकदम बदल गया
बूढ़ा बाप लगने लगा उसे अब जी का जंजाल!!

लेकिन सुनो ये बर्ताव तुम्हारा सही नही है
माता पिता के सिवा जीवन का कोई आधार नहीं है
और करोगे बुजुर्गो की इज्जत तो तुम्हारा भी सम्मान बढ़ेगा
दादा दादी की सेवा से बढ़कर जीवन में कोई और संस्कार नही है!!

वक्त अभी है प्यारे तुम इतनी बात मेरी मानो
ज्यादा ना उड़ो आसमान में अब जमीं पर वापस आओ
और पकड़ लो उन झुर्रियों भरे हाथो को मजबूती से तुम
करो सेवा बुजुर्गो की अपने और अपना जन्म सुधारो!!

क्यूंकि घर में बैठे बुजुर्ग वटवृक्ष के समान होते है
सदा चाहते है वो भला तुम्हारा और अपना आशीष देते है
बुजुर्गो से ही है मिलती है परवरिश वही तो  हमे अच्छे संस्कार देते है
और जो नही करता सम्मान अपने बुजुर्गो का, खुद भगवान उन पापियों को दुत्कार देते है!!



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #बुजुर्गो_का_सम्मान_करो
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Mou

“না পাওয়া ভালোবাসা" #poemme✍️ #pls_like_comment_and_share

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Indresh Dwivedi

सुनो ना कुछ कहना है तुमसे क्या तुम मेरी बात पे भरोसा करोगी
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी
महंगे क्लब और रातों को घूमना ये तो सब करते है
पर क्या तुम रोज मेरे साथ मंदिर चलोगी 
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी!!

चांद तारे तो शायद न दे पाऊं मैं तुम्हे पर हर रोज एक गुलाब का वादा है 
फूलों सा महका कर रखूंगा मैं तुम्हे क्या तुम मेरी मल्लिका बनोगी
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी!!

महंगी गाड़ी महंगे फोन तो नही दे पाऊंगा तुम्हे
पर एक वादा है तुम्हारी आंखों में कभी आंसू नहीं लाऊंगा मैं
तुम्हारी एक मुस्कान के खातिर हद से भी गुजर जाऊंगा मैं
अपनो वादों को पूरा कर सकू क्या तुम मेरी शक्ति बनोगी
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी!!

ये जानता हूं मैं कि तुम अपने पापा की जान हो
मम्मी की लाडली और अपने भाई की शान हो
पर मैं भी बेपनाह मोहब्बत करता हूं तुमसे 
सुख दुख में साथ निभाने वाली क्या तुम मेरी साथी बनोगी
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी!!

करते होंगे लोग जिस्म से प्यार मुझे तो तुम्हारी रूह में उतरना है
जुल्फों से खेलना है तुम्हारी और आंखों में बसना है
बिन बोले ही तुम्हारी हर बात समझ सकू
बस इतना सा तुम्हे समझना है क्या तुम मेरे दिल की धड़कन बनोगी
पसंद करता हूं मैं तुम्हे क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी!!

चूड़ी, बिंदी, बिछिया, महावर और सिंदूर मेरे नाम का
कंगन, पायल, झुमका, टीका और मंगलसूत्र मेरे नाम का
क्या तुम ये सब अपनाओगी 
मेरी मम्मी क्या तुम अब अपनी मम्मी जी कहकर बुलाओगी!!

सुनो ना कुछ कहना है तुमसे क्या तुम मेरी बात पे भरोसा करोगी
प्यार करता हूं मैं तुमसे क्या तुम मेरी दुल्हनियां बनोगी!!



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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#proposal_for_my_love

#Youme

Indresh Dwivedi

सब कुछ जानकार भी बनी अनजान एक लड़की
मेरे सपनो मे आती है बनकर ख्वाब एक लड़की
और अफसोस ये की उसे मेरे इश्क की हद नही मालूम
बैठती है बगल में है मेरे हां वो पागल सी एक लड़की!!


देखता हूं उसे और सब कुछ भूल जाता हूं
मैं उसके साथ ख्वाबों में हां अक्सर घूम आता हूं
और जिस दिन नही होते मुझे दीदार उसके
उसकी तस्वीर को यारो मैं उस दिन चूम लेता हूं!!


सिलसिला ये एक तरफा मोहब्बत का जबरदस्त होता है
उसके ख्वाब में आशिक हमेशा व्यस्त होता है
ना किसी से कोई उम्मीद ना ही कोई अरमान है उसके
वो तन्हा भी रहे तो क्या वो एकदम मस्त होता है!!








कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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#ishq

Indresh Dwivedi

शीर्षक: कागज़ और उसका मोल!


कागज कहने को तो बस एक नाम है
कुछ लोगो के लिए बस ये रद्दी समान है!!

पर कागज़ के बिना इंसान का जीवन बेकार है
ये कागज़ ही तो है जो हम सबके जीवन का आधार है!!

नवजात शिशु के जन्म प्रमाण के लिए ये कागज़ बहुत जरूरी है
और मृत हुए व्यक्ति का भी कागज़ ही प्रमाण है!!

जीवन से लेकर मृत्यु तक सब कागज़ कागज़ खेलते है 
कागज से ही सब पढ़ते है और कागज़ पे ही लिखते है
कागज की किताब, कागज़ की कॉपी, 
कागज की डिग्री कागज़ की वसीयत कागज़ का रुपया कागज़ है हकीकत
लेकिन फिर ना जाने क्यूं हम कागज़ का मोल ना समझते है!!

वक्त अभी भी है प्यारे तुम कागज़ के मोल को पहचानो
सारा ये जीवन कागज है बस इतनी ये बात मेरी मानो!!


कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #happy_papers_day

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Indresh Dwivedi

आज कल नींद रातों को आती नहीं
एक तेरी याद दिल से हां जाती नहीं
रात भर जागता हूं तेरी याद में
तेरी खुशबू भुलाई हां जाती नहीं!!

मुद्दतो से हूं मैं तो हां सोया नही याद में बस तेरी मैं तो खोता रहा
आंख झरने सी बहती रही ओ सनम याद में बस तेरी मैं तो रोता रहा!!

सुन ओ संगदिल ये तूने हां क्या बात की
प्यार के बदले ये कैसी सौगात दी
मुझसे ऐसी हुई क्या खता तू बता 
दिल मेरा तोड़ तू बेवफा क्यूं हुई??



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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Indresh Dwivedi

Indresh Dwivedi

इंसान की कीमत का लगाए अंदाजा तो इससे बड़ी कोई बेवकूफी नही होती
मेरे दोस्त कीमत तो होती है सामान की इंसान की सच पूछो तो कोई कीमत नहीं होती
हां एक भाव जरूर होता है जिसे हम प्यार कहते है
और प्यार से बढ़ कर दुनिया की कोई दौलत नही होती!!




कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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Indresh Dwivedi

मेरे राम को उसने गाली दी तब कोई खून नहीं खौला
शिवलिंग पे वजू किया उसने तब कोई कुछ भी नही बोला 
और नूपुर की बोली बातों पे ये कतर जो ऐसे ऐंठा है
मां सीता के अश्लील चित्रण पे मौन हुए थे सब ये कतर भी तब कुछ नहीं बोला!!

मेरे आराध्य श्रीराम का ओवैसी ने था अपमान किया
और सबूतों के अभाव में देखो कोर्ट ने उसको छोड़ दिया
जिसमे उसने थी गाली दी वो वीडियो तुमको यूट्यूब पे भी मिल जाएगी
पर कानून तो अपना अंधा है उसको हां कुछ भी नही दिखा !!

इस्लाम के नाम पे देखो वो कैसा कोहराम है मचा रहे
नाम पूछकर घाटी में हिंदुओ को है मार रहे
और छप्पन इंची सीना भी जैसे सूकड़ गया है अब
वो अल्पसंख्यक होकर भी देखो बहुसंख्यकों को है धमका रहे!!

भारत के आंतरिक मामले में क्यूं कतर ये आंख है दिखा रहा
मासूमों की मौत पे चुप्पी है और एक बयान पे है बौखला रहा
नूपुर शर्मा को तुमने सस्पेंड किया जो डरकर खाड़ी देशों से
ऐसा लगता है मोदी जी कि शेर को कुत्ता है डरा रहा!!

गर शाख  है अपनी बचानी तो नूपुर शर्मा को वापस लाओ तुम
देकर साथ नूपुर का अब कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाओ तुम
मैं मानता हूं कि सबके आराध्य बराबर है इसलिए
कोई भी ईशनिंदा न करे कोई ऐसा कानून बनाओ तुम!!


ये वचन मेरा है तुमसे सेवक प्रधान पहल नहीं करेंगे हम
लेकिन अपने आराध्यो का अपमान भी नही सहेंगे हम!!


कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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Indresh Dwivedi

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