शीर्षक - "सबका कटेगा.." (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी है बता तेरे 'आगे-पीछे' कौन है भैय्या.. कौन किससे कहेगा- "नाइंसाफी है" तुम जान लो बात ये बिल्कुल सीधी- तुम्हारा कलेजा तो फट के कटेगा.. तुम में आख़िर जान ही कितनी, देखते जाओ कितना झट से कटेगा.. मेरा देश बदल रहा है, सबका कटेगा। जो ये सोच रहे के अपने 'सगे-संबंधी' हैं 'कुछ कौमें' तो देश में बिल्कुल ही अंधी हैं अमीरों के बाजार में भाव क्या - भावों का? जहां इंसानी जज़्बातों की सामाजिक मन्दी है, जो समझ रहे हैं ख़ुद को क़रीबी.. रुको उनका थोड़ा हटके कटेगा, मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। कहीं किसी बाबू का शोना से तो कहीं किसी शोना का बाबू से किसी का हाथों-हाथ रे भैय्या तो किसी का रिश्तों के तराजू से किसी का फोकट में शक से कटेगा तो किसी का बड़े ही हक से कटेगा मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। सबका कटेगा.. ©technocrat_sanam शीर्षक - "सबका कटेगा.." 😇 😅 😂 (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी है बता तेरे 'आगे-पीछे' कौन है भैय्या.. कौन किससे कहेगा- "नाइंसाफी है"