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ज़ख्म लगे तो आँखों से फ़िर अश्कों की बरसात हुई छोड़ो

 ज़ख्म लगे तो आँखों से फ़िर अश्कों की बरसात हुई
छोड़ो  उसको  सो भी जाओ  देखो कितनी  रात हुई

मेरे  शहर में  आके  मुझसे मिलने  तक न  आया वो
ऐसी भी  क्या  मज़बूरी  थी ऐसी भी  क्या बात  हुई

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ हामिद रजा जैदी ♥️✍️

✍️♥️ हामिद रजा जैदी ♥️✍️ #शायरी

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