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,"गोपाल दास नीरज जी की पंक्तियां" दो गुलाब के फ



,"गोपाल दास नीरज जी की पंक्तियां"

दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे
ऐसी गंध बसी है मन में सारा जग मधुबन लगता है

मेरी पंक्तियां
खुशबू तुम्हारे सांसों का, सुरभित कर गया हर क्षण  मेरे।
मलय समीर जो घुली हवा में, जीवन मेरा गुलशन लगता है।

स्पर्श तुम्हारे मधुमास सा, स्पंदित करता है तन मन मेरे।
रोम रोम पुलकित उठता तन, खिलता हुआ उपवन लगता है।


अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
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