मैं तो हर भीड़ में अकेला हूं. मेरा महफ़िलो में दम . अब घुटता है उसकी गैरत कों किसी ने ललकारा. है क्योंकि अब वो सिक्कों में तुलता है ये लफ़्ज़ों का खेल अब बंद भी करो बोल बोल कर तुमने सचाई कों गँवाया है ©Parasram Arora सचाई......