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मुझे खींचती है तेरी ओर तेरे चेहरे की ताबानी, तू जा

मुझे खींचती है तेरी ओर तेरे चेहरे की ताबानी,
तू जानती है सब कुछ चाहे बनती हो अनजानी।
मर मिटा हूं तेरी भोली अदाओं पर न जाने क्यूं,
तू ही तू नज़र आए मुझे हर पल हर लम्हा हर सूं।

©Amit Singhal "Aseemit"
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