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मुश्किलें बहुत थी मगर संभलना पड़ा। घर के वास्ते, घर

मुश्किलें बहुत थी मगर संभलना पड़ा।
घर के वास्ते, घर निकलना पड़ा।
शौक तो मेरे भी बहुत थे साहब !
पर शौक जो मजबूरियों 
से बदलना पड़ा।।

©Geetkar Niraj
  घर से निकलना पड़ा।
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#GuzartiZindagi