मावस की काली रातों में मन बंजर सा हो जाता है
सूने अम्बर का कालापन तब खंजर सा हो जाता है
चन्दा भी अपनी दुल्हनिया ले,जा तारो के संग सोता है
किस्मत का तारा मेरे संग तब हिचकी भर भर रोता है
सूना अम्बर, सूनी गलियाँ,मन भी सूना हो जाता है
तेरी यादों के संग दुःख भी तो मेरा दूना हो जाता है #मैं#तारे#सपना#कविता#शायरी#चाँद