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जितना भी संताप लिखा है सबने अपने आप लिखा ह

जितना भी संताप    लिखा है 
सबने  अपने   आप लिखा  है 

कर्म नीति  का नियम यही है 
हर क्षण  पश्चाताप लिखा है 

Rahul Akshat Sharma

©साहित्य संजीवनी
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