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दहाड़े ज़ब दिल जोरों से, कैसे पलकें भिगोए नहीं? बिखर

दहाड़े ज़ब दिल जोरों से,
कैसे पलकें भिगोए नहीं?
बिखर जाएं ज़ब अरमा सारे,
कहते हो कैसे सोए नहीं?
बंद पड़ी मंजिल की राहें,
फ़र्ज से बिमुख कभी होए नहीं!
घुटते रहें आखिर कब तक?

©Faniyal
  #mardkadard