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वो, जो युगों को अपने हृदय में, बसाती है, फिर वह

वो,
जो  युगों  को  अपने हृदय में, बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है,
दिनकर से पहले जाग, पिता की परछाई,
एक नारी मेरे जीवन को जीवन बनाती है।

वो,
जेबें भर  जाती हैं, अक्सर मेरी उनके घर आने से,
मुस्कुरा  उठती है, पूरी  दुनिया उनके मुस्कुराने से।
भक्तवत्सल जिसके कहने से वन-वन विचरण करे,
ये वो महान हस्तियाॅं हैं,खाते हम जिनके कमाने से।
शेष अनुशीर्षक में वो,
जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए,
जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए।
नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं,
नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए।

जो युगों को, अपने  हृदय  में  बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है।
वो,
जो  युगों  को  अपने हृदय में, बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है,
दिनकर से पहले जाग, पिता की परछाई,
एक नारी मेरे जीवन को जीवन बनाती है।

वो,
जेबें भर  जाती हैं, अक्सर मेरी उनके घर आने से,
मुस्कुरा  उठती है, पूरी  दुनिया उनके मुस्कुराने से।
भक्तवत्सल जिसके कहने से वन-वन विचरण करे,
ये वो महान हस्तियाॅं हैं,खाते हम जिनके कमाने से।
शेष अनुशीर्षक में वो,
जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए,
जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए।
नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं,
नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए।

जो युगों को, अपने  हृदय  में  बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है।

वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए। जो युगों को, अपने हृदय में बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #मेरी_बै_रा_गी_कलम