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बिखरे हुए 'जज़्बात' दिल सम्भाल पाया है पुराना स

बिखरे हुए 'जज़्बात'  दिल  सम्भाल पाया है
पुराना  संदूक और  वो  'ख़त'  लौट आया है 

तुम नहीं हो, बस  तुम्हारी यादों का साया है 
आज  फ़िर से  वो चेहरा इतना याद आया है 

मिट्टी से  सना देखा, पर्दे में तू नज़र आया है 
कुछ नमी है  ख़त में जैसे तेरे आँसू बहाया है

वक़्त की रुस्वाई लिखी हुई, दर्द भी पाया है 
ज़ख़्म अनगिनत ये ख़त अपने में छिपाया है 

तुम दिखते इसमें, अक्स तेरा नज़र आया है 
यह ख़त नहीं, भावना का संगम हो आया है  पुराने ख़त और तुम (ग़ज़ल)
#kkpc20 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #खत #तुम
बिखरे हुए 'जज़्बात'  दिल  सम्भाल पाया है
पुराना  संदूक और  वो  'ख़त'  लौट आया है 

तुम नहीं हो, बस  तुम्हारी यादों का साया है 
आज  फ़िर से  वो चेहरा इतना याद आया है 

मिट्टी से  सना देखा, पर्दे में तू नज़र आया है 
कुछ नमी है  ख़त में जैसे तेरे आँसू बहाया है

वक़्त की रुस्वाई लिखी हुई, दर्द भी पाया है 
ज़ख़्म अनगिनत ये ख़त अपने में छिपाया है 

तुम दिखते इसमें, अक्स तेरा नज़र आया है 
यह ख़त नहीं, भावना का संगम हो आया है  पुराने ख़त और तुम (ग़ज़ल)
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