बरसात कुछ यूं बरसो यौवन में , गरज रहे बादल जैसे सावन में ... डूब जाओ इन आंखों की कश्ती में , जैसे चकोर चांद को देखता है चितवन में .... स्पर्श ऐसा हो जैसे कमल खिला हो पुष्कर में , तरंग उठे और सैलाब आ जाए उर में.. दीवाना बना दो इस तरह कि मदहोश हों तेरी चाहत में , बेखबर रहूं जज्बात में और पता न चले कब सुबह से शाम गुजर गई बरसात में ..... एक ओर नाचे मोर वन में , तड़पे सलिल सागर के मिलन में , होश में न रहूं दिन रात मैं .. कुछ इस तरह मिलन की बेला हो बरसात में ........। ©NISHA DHURVEY #Apocalypse #Barsaat #बरसात