मैं गीत कहाँ गाता हूँ ; प्रकृति में जो है निहित ; बस ; वही दुहराता हूँ ; मैं गीत कहाँ गाता हूँ । मैं आविष्कार भी नहीं करता ; मैं तो बस ;अवस्था बदलता हूँ ; ज्ञान सहेजता हूँ ;ढूंढता हूँ उसे ; जो पहले से ही प्रकृति में है । रचना -यशपाल सिंह " बादल" ©Yashpal singh badal मैं गीत कहाँ गाता हूँ ? #Mic