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ग़ज़ल :- आरजू अपनी छुपा के चल दिए । हर खुशी उन पे लु

ग़ज़ल :-
आरजू अपनी छुपा के चल दिए ।
हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१

चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए ।
प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२

पूछता ही मैं रहा उनका पता ।
जो हथेली से मिटा के चल दिए ।।३

आज सिखलाओ मुहब्बत तुम हमें।
होठ सुर्खी वह लगा के चल दिए ।।४

तुम ठहर जाओ इधर कुछ देर अब ।
यार दीवाना बना के चल दिए ।।५

एक हसरत थी नज़र भर देख लूँ ।
रूख अपना जो छुपा के चल दिए ।।६

प्रीत कब तक मैं छुपाऊँगीं प्रखर ।
वज्म़ में अपनी बुला के चल दिए ।।७

१७/०१/२२०२४    -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आरजू अपनी छुपा के चल दिए ।

हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१


चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए ।

प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२
ग़ज़ल :-
आरजू अपनी छुपा के चल दिए ।
हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१

चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए ।
प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२

पूछता ही मैं रहा उनका पता ।
जो हथेली से मिटा के चल दिए ।।३

आज सिखलाओ मुहब्बत तुम हमें।
होठ सुर्खी वह लगा के चल दिए ।।४

तुम ठहर जाओ इधर कुछ देर अब ।
यार दीवाना बना के चल दिए ।।५

एक हसरत थी नज़र भर देख लूँ ।
रूख अपना जो छुपा के चल दिए ।।६

प्रीत कब तक मैं छुपाऊँगीं प्रखर ।
वज्म़ में अपनी बुला के चल दिए ।।७

१७/०१/२२०२४    -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आरजू अपनी छुपा के चल दिए ।

हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१


चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए ।

प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२

आरजू अपनी छुपा के चल दिए । हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१ चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए । प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२ #शायरी