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राखी (दोहे) राखी का ये पर्व है, मुख पर भी मुस्कान

राखी (दोहे)

राखी का ये पर्व है, मुख पर भी मुस्कान।
स्नेह भाव से देखती, भाई उसकी जान।।

बाजारों मे है सजी, राखी ही सब ओर।
टूट पड़ी अब भीड़ है, देखो ये घनघोर।।

होड़ मिठाई की लगी, लम्बी खूब कतार।
बहनें रहतीं सोच में, क्या लूँ मैं इस बार।।

तिलक लगा कर बोलती, आगे लाओ हाथ।
राखी बाँधू आज मैं, देना मेरा साथ।।

बहना से भी प्रीत है, भाई की वह जान।
मुख मीठा उसका करे, और करे गुणगान।।

बंधन ये मजबूत हो, रखना इसकी लाज।
सदा गर्व तुम पर रहे, करना ऐसा काज।।

मुझे सिर्फ अब चाहिए, बस तेरा ही प्यार।
कहती है सद्भावना, मेरा तुम आधार।।

होती है मजबूत जो, राखी की ये डोर।
सुंदर अब देखो लगे, सभी खिचें इस ओर।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #राखी 
#दोहे 
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राखी का ये पर्व है, मुख पर भी मुस्कान।
स्नेह भाव से देखती, भाई उसकी जान।।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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