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ग़ज़ल :- अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो । आप बीती सभ

ग़ज़ल :-
अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो ।
आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२

दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ ।
यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२

खोज लेंगे तुम्हें एक दिन खुद सभी ।
फासला तुम अभी तो बना के चलो ।।३

जल उठेंगे सभी फिर तुम्हें देखकर ।
तुम जरा सा उधर मुस्कुरा के चलो ।।४

और कितना चले यार पीछे बता ।
तुम कभी तो नजर ये मिला के चलो ।५

जीत जायेंगे बाजी यूँ ही एक दिन ।
तुम कदम जो सनम फिर मिला के चलो ।।६

देख जाते हुए कह गया था प्रखर ।
प्यार दिल से हमारा मिटा के चलो ।।७

२३/०१/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो ।

आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२


दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ ।

यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२
ग़ज़ल :-
अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो ।
आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२

दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ ।
यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२

खोज लेंगे तुम्हें एक दिन खुद सभी ।
फासला तुम अभी तो बना के चलो ।।३

जल उठेंगे सभी फिर तुम्हें देखकर ।
तुम जरा सा उधर मुस्कुरा के चलो ।।४

और कितना चले यार पीछे बता ।
तुम कभी तो नजर ये मिला के चलो ।५

जीत जायेंगे बाजी यूँ ही एक दिन ।
तुम कदम जो सनम फिर मिला के चलो ।।६

देख जाते हुए कह गया था प्रखर ।
प्यार दिल से हमारा मिटा के चलो ।।७

२३/०१/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो ।

आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२


दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ ।

यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२

अब गरीबी में भी सिर उठा के चलो । आप बीती सभी से छुपा के चलो ।।२ दीद उनके भी फिर यार होते कहाँ । यार दिल में जिन्हे तुम बसा के चलो ।।२ #शायरी