Nojoto: Largest Storytelling Platform

नारी भी समझे नहीं,दुष्टों की यह चाल। फंसी फिर क्य


नारी भी समझे नहीं,दुष्टों की यह चाल।
फंसी फिर क्यों प्यार में,देख बुरा यह हाल।। 
देख बुरा यह हाल, अक्ल क्यूँ जाती मारी। 
भूल सभ्य संस्कार,दिखावा पड़ता भारी।। 
पढी लिखी तू नार,करे क्यूँ इनसे यारी। 
सबल बनी तू आज, नहीं वह अबला नारी।।

©Usha bhadula
  #loversday कुंडलियाँ
ushabhadula1560

Usha bhadula

New Creator

#loversday कुंडलियाँ #कविता

126 Views