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सुनो! आजकल तुम कुछ, इस तरह चहकने लगी हो रोज सवेरे।

सुनो!
आजकल तुम कुछ,
इस तरह चहकने लगी हो रोज सवेरे।
कि जैसे कोयल चहक रही हो
गर्मी के महीने में छत की मुंडेरे। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★

#collabchallenge

★ इस कोलाब को पूर्ण कीजिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। 

★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा।
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सुनो!
आजकल तुम कुछ,
इस तरह चहकने लगी हो रोज सवेरे।
कि जैसे कोयल चहक रही हो
गर्मी के महीने में छत की मुंडेरे। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★

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★ इस कोलाब को पूर्ण कीजिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। 

★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा।
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★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★ #CollabChallenge ★ इस कोलाब को पूर्ण कीजिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। ★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। . #yqdidi #yqpoetry #mukultiwari #प्रेम_रचना #टीम_राधेकृष्णा #आजकल_तुम #tishiyapa