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बहुत उदास सी रहती है ,मेरी दुनिया अब मैं अधूरा सा

बहुत उदास सी रहती है ,मेरी दुनिया अब
मैं अधूरा सा कोई ,लफ्ज नजर आती हूं

दर्द की महफिलें ,हर ओर फकत तन्हाई
मैं संवरकर भी क्यूं ,हर बार बिखर जाती हूं

रहा अंधेरा बस अंधेरा ,मुझमें जिंदा कहीं
मैं बुत बनी सी ,खुद को जब्त किए जाती हूं

कैद हूं जाने कहां ,कौन सा कफस है ये 
मै बन्द पलकों मे, बन अश्क झिलमिलाती हूं

कोई रस्ता नही ,शायद न कोई मंजिल है
मैं जहां से चली ,फिर खुद को वही पाती हूं

©अनामिका पाण्डेय
  #Likhoमेरी दुनिया अब