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हर सुबह मिलने की आस मे जग उठे शाम के साथ हम भी ढलत

हर सुबह मिलने की आस मे जग उठे
शाम के साथ हम भी ढलते रहे 
आस थी प्यास थी
अकेलापन और यह चंचल मन
चंचल मन की व्यथा बताते रहे
प्रेमी दिवानों की गाथा गाते रहे
अधूरी ख्वाहिशें 
टूटे सपने कुछ रूठे अपने
अपनों को मनाने मे वक्त बिताते रहे
वक्त के बीतने मे खुद के बीतने की राह मे रहे
दुनिया दिखावटी मन मिलावटी
मुखौटे ही शेष है भेष तो बदलते रहे
बदलते वक्त के बहाव मे हम भी बहते रहे
खुद की नौका वक्त के हाथों खेते रहे

©Bhavani Shankar Dan Depawat #Charan #charan7 #depawat #Deshnoke #bikaner #rajasthan #Hindi_Shayri #बेहद_लेखनी 
#AWritersStory
हर सुबह मिलने की आस मे जग उठे
शाम के साथ हम भी ढलते रहे 
आस थी प्यास थी
अकेलापन और यह चंचल मन
चंचल मन की व्यथा बताते रहे
प्रेमी दिवानों की गाथा गाते रहे
अधूरी ख्वाहिशें 
टूटे सपने कुछ रूठे अपने
अपनों को मनाने मे वक्त बिताते रहे
वक्त के बीतने मे खुद के बीतने की राह मे रहे
दुनिया दिखावटी मन मिलावटी
मुखौटे ही शेष है भेष तो बदलते रहे
बदलते वक्त के बहाव मे हम भी बहते रहे
खुद की नौका वक्त के हाथों खेते रहे

©Bhavani Shankar Dan Depawat #Charan #charan7 #depawat #Deshnoke #bikaner #rajasthan #Hindi_Shayri #बेहद_लेखनी 
#AWritersStory