मैं तो हूँ व्यापारी।। मैं तो हूँ व्यापारी, बस सामान बेचता हूँ, पैसों के अंधों को देखो ईमान बेचता हूँ। प्रजातन्त्र के मंदिर का मैं एक पुजारी हूँ, अंधे बहरों को आंख और कान बेचता हूँ। सब होंगे खुशहाल, हर घर लक्ष्मी वास, झूठ को भी देखो कैसे सच मान बेचता हूँ। कोई भूख से मरता है, कोई चढ़ता फांसी, इन भूखे नंगों को मुआवजे दान बेचता हूँ। नारीशक्ति का नारा था, देवी तो बना दिया, फिर बीच चौराहे उसका सम्मान बेचता हूँ। कौन युवा है, कौन लड़ेगा, किसको चिंता, नतमस्तक वीरों को तीर कमान बेचता हूँ। निज धर्म निभाता हूँ, तेरा भी हुंकार रहे, शब्दों में संदेश नहीं बस, प्राण बेचता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote मैं तो हूँ व्यापारी।। मैं तो हूँ व्यापारी, बस सामान बेचता हूँ, पैसों के अंधों को देखो ईमान बेचता हूँ। प्रजातन्त्र के मंदिर का मैं एक पुजारी हूँ, अंधे बहरों को आंख और कान बेचता हूँ।