मेरी कोशिश रहती है, के मेरे अशको़ के बूंद,,, मेरे रुख़्सारों पे अयां ना होने पाए, कि मेरी खामोशियों के ज़हर,,, मेरे लबों पे बयां ना होने पाए, क्यूंकी ना जाने,,,, हमदर्दों कि अजीब हमदर्दियां क्यूं ? मेरे अश्कों में,,,,,मेरे दर्दों में,,,,,, इजा़फा कर जाते हैं "इब्राहिमी" ©AL ibrahimi poetry #koshish rahti hai #eveningtea