ग़ज़ल :- प्यार का दीपक बुझा के चल दिए । बेवफ़ा हमको बता के चल दिए ।।१ तोड़कर रिश्ते मुहब्बत के तुम्हीं । गैर को अपना बना के चल दिए ।।२ पूछता है दिल अभी भी आप से । आप क्यों कल मुस्कुरा के चल दिए ।।३ नींद भी आयी न हमको सोचकर । इस तरह से दिल जला के चल दिए ।।४ हक मुहब्बत में तुम्हें किसने दिया । प्यार जो मेरा मिटा के चल दिए ।।५ इन सितारों से भरेंगे माँग हम । आप ये सपना दिखा के चल दिए ।।६ ये प्रखर नादान उल्फत में रहा । पायलें जब वो बजा के चल दिए ।।७ २७/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्यार का दीपक बुझा के चल दिए । बेवफ़ा हमको बता के चल दिए ।।१ तोड़कर रिश्ते मुहब्बत के तुम्हीं । गैर को अपना बना के चल दिए ।।२