"शब्दों की माला" शब्दों की माला, सजती है तेरे एहसासों से, तेरी यादो के एक-एक मोती को, जोड़कर बनाऊँ में, तो सिर्फ शब्दों की माला। हे तू अब ना जाने कहाँ और मैं यहांँ, दिन-ब-दिन तुझे याद करके, बना रहा हूंँ तेरी यादगिरी के रूप में, तो सिर्फ शब्दों की माला । भले हूंँ अकेला अब, फिर भी रहता हूंँ खुश बहुत, क्योंकि तेरे संग वो जिंदगी जी ली मैंने, के बाकी की जिंदगी तुझे याद करते, काट रहा हूँ मे वो भी हसते चेहरे के साथ। कभी महसूस ही नहीं हुई तेरी गैर हाजरी मुझे, क्योंकि तूने जिंदगी भर की खुशी पहले ही दे दी मुझे, आज तेरे एक एक शब्द को याद करके लिखता हूँ हमेशा, और तुझे महसूस करता हूंँ हमेशा मेरे सामने। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-3 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc25 #विशेषप्रतियोगिता #शब्दोंकीमाला