जिसको भी चाहा दूर हो गया, वो तन्हा सा मशहूर हो गया । यादों में डूबा ख़ुद को भूलकर, ख़ुद में ही ख़ुद से दूर हो गया । रंजोगम भूला जो इश्क़ के दस्तूर में, वो बादशाह भी कल मजदूर हो गया । डूबा खयालों में कुछ इस तरह, कभी मीरा तो कभी सूर हो गया । रातों के साये में ढूँढ़ता फ़िरता किसे, आख़िर घर जाने को मजबूर हो गया । – प्रद्युम्न मौर्य 'विशेष' #Love #शायरी #ग़ज़ल #नज़्म #Nojoto #प्रद्युम्न #Hindi #हिंदी #writer #इश्क़