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मन बार बार धक्के देता है जा कहीं दूर जाकर सन्यासन

मन बार बार धक्के देता है
जा कहीं दूर जाकर
सन्यासन बन जा
जब जब इस देह को 
बियाह के बंधन में 
बाँधने की बात चलती है

©MamtaYadav
  #गज़ल