मै एक बालक हूं जनाब तुम क्यों मुझे चालक बनाते हो, खेल कूद की उम्र में तुम क्यों मुझे मजदूर बनाते हो, जिन हाथों में पेंसिल होनी चाहिए तुम क्यों मुझे बर्तन - ईंट पकड़ाते हो, मेरे मोम जैसे दिल को तुम क्यों पत्थर जैसा बनाते हो, मेरे कंधो पर बस्ते की जगह तुम क्यों गेंहू के बोरे उठवाते हो, मेरे जीते जागते ख्वाबों को साहब तुम क्यों मिट्टी में दफनाते हो, मै देश का भविष्य हूं तुम क्यों मुझे भूतकाल बनाते हो, मै एक बालक हूं साहब तुम क्यों मुझे टाइम से पहले बड़ा बनाते हो।। ©अनकहा_एहसास #antichildlabourday #बालक #जुर्म #बाल #मजदूरी #भविष्य #अनकहा #एहसास #सपने