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हो ही जाती अगर सारी ख्वाहिशें पूरी, तो आंखों में आ

हो ही जाती अगर सारी ख्वाहिशें पूरी,
तो आंखों में आसूं कौन भरता?

मुकद्दर में लिखा ही होता उनका साथ,
तो इस मुकद्दर से कौन लड़ता?

इश्क़ का पैमाना नाप लेता अगर कोई,
तो फिर कोई क्यों किसी से बिछड़ता?

कुछ तो रह गई थी रिश्तों में दरारें,
वरना वो यूं क्यों झगड़ता?
                        ---------आनन्द

©आनन्द कुमार 
  #बिछडना 
#आनन्द_गाजियाबादी 
#Anand_Ghaziabadi