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ओस की परत सा है धुँधला वो रिश्ता जिसे बार बार हथेल

ओस की परत सा है
धुँधला वो रिश्ता
जिसे बार बार
हथेलियों की छुअन से
मैं साफ करने की
कोशिश करता हूँ..!
और
फिर ठंड बढ़ती है
और ठंड से बढ़ती है ओस
और ओस बढ़ने से फिर
बढ़ने लगता है
धुँधलापन... 
जिसे ना हथेली की छुअन
ना एहसासों का स्पर्श
ना वादों की चादर
दूर कर पाती है..!
और मैं फिर ठंड ख़त्म
होने का इंतजार करता हूँ..!  कुछ रिश्ते बहुत नाज़ुक होते है और कुछ बहुत मजबूत.. दोनों तरह के रिश्तों को जीने का अनुभव एक ही जन्म में कर लिया है, हाँ ख़ुद को छोड़कर, सब को जी लिया है..!

#kumaarsthought #kumaarpoem #रिश्ते #ओस #छुअन #हथेली #स्पर्श
ओस की परत सा है
धुँधला वो रिश्ता
जिसे बार बार
हथेलियों की छुअन से
मैं साफ करने की
कोशिश करता हूँ..!
और
फिर ठंड बढ़ती है
और ठंड से बढ़ती है ओस
और ओस बढ़ने से फिर
बढ़ने लगता है
धुँधलापन... 
जिसे ना हथेली की छुअन
ना एहसासों का स्पर्श
ना वादों की चादर
दूर कर पाती है..!
और मैं फिर ठंड ख़त्म
होने का इंतजार करता हूँ..!  कुछ रिश्ते बहुत नाज़ुक होते है और कुछ बहुत मजबूत.. दोनों तरह के रिश्तों को जीने का अनुभव एक ही जन्म में कर लिया है, हाँ ख़ुद को छोड़कर, सब को जी लिया है..!

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कुछ रिश्ते बहुत नाज़ुक होते है और कुछ बहुत मजबूत.. दोनों तरह के रिश्तों को जीने का अनुभव एक ही जन्म में कर लिया है, हाँ ख़ुद को छोड़कर, सब को जी लिया है..! #Kumaarsthought #kumaarpoem #रिश्ते #ओस #छुअन #हथेली #स्पर्श