उतार में सहिष्णुता, चढ़ाव में अहंकार; हवा से जुड़े अनेक इसके आकार ।। भोर में कोलाहल, सांझ में चंचलता; क्षण मात्र बूंदों से तटों को सहलाता ।। पन्ने है बिखरे चाहे खुली हो ये किताब, समय की लहर के अनगिनत नक़ाब ।। लहरों की बात उठी है तो । देखें कहाँ तक जाती है । #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #QuoteSeries #लहर #Waves #वक़्त #time #hindi #poetry #हिंदी #कविता #उतार #चढ़ाव