जिसने दिए तुझे लता,विटप और फल,फूल और छाया, जिसने तेरे मरने पर सबसे पहले ख़ुद को अग्नि में जलाया। उस वृक्ष के मरने पर कोई ख़बर क्यो नही आती है, हे! मानव जिसने तुझे जीवन दिया,तू उसका भी न हो पाया...। समर शेष है,मौसम की शीतलता अभी बाक़ी है, जल के कमी की परिणति क्या तूने आँकी है। जल, वायु, धरा, गगन और अग्नि समेत ये पंच प्रकृति का है आधार, अंतोगत्वा ख़त्म हो जीवन माँग क्षमा पर्यावरण से कर ले भूल सुधार। 🎀 Challenge-225 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।