जैसे है हम बस ऐसे ही है लोगो की क्यों फिक्र करे सोच सोच कर क्यों डरे मन है उनका जीभा उनकी सोना उगले या उलगे मिट्टी उन मिट्टी का क्या करे हम क्या कहेंगे लोग हमे क्यों इन बातो से पल–पल मरे हम खुशियां ढूंढो ढूंढो खुशियां अपने चारो ओर छोटी छोटी खुशियों में बंधी है खुशियों की डोर पकड़ो उनका पल्लू , पकड़ो चारो छोर हार न मानो यूं बार बार न मानो सोचो सब कुछ अच्छा होगा अगर दिल तुम्हारा सच्चा होगा देखो उस चींटी को जिसने जीवन से हार न माना मृत्यु ही जीवन है उसने जाना फिर मृत्यु से डरना क्या ख़ुद से ही जब आगे बढ़ना हां संघर्ष करो और लड़ना जानो फिर कभी जीवन में हार न जानो ✍️ चंद्रविद्या उर्फ रिंकी जैसे है हम बस ऐसे ही है लोगो की क्यों फिक्र करे सोच सोच कर क्यों डरे मन है उनका ,उनकी जीभा सोना उगले या उलगे मिट्टी उन मिट्टी का क्या करे हम क्या कहेंगे लोग हमे