तेरे बग़ैर अब कुछ भी पहले सा न हो पायेगा, सावन आएगा पर मन को लुभा न पायेगा। रुत बदलेगी पर मेरा मन न बहलायेंगी, बाद-ए -सबा में दिल सुकूँ-ए-करार न पायेगा। नगमा प्रेम का ये ज़माना गुनगुनाएगा बेशक़, मेरे दिल से गुज़र कर सब बेअसर हो जायेगा। न सूरत देख किसी की इठलाएगी फ़िर नज़र, प्यार भरा दिल मेरा फ़िर पत्थर हो जायेगा। बिख़री ज़ुल्फ़े मेरी समेटेगा फ़िर कौन भला? बिख़री ज़ुल्फ़े,बिखरा जीवन बिखरा रह जायेगा। ज़मीं ही ज़मीं रह जाएगी हिस्से में मेरे, खुले आसमां से राब्ता मेरा ख़ो जायेगा। मुझे आएगा फ़िर कौन ढूँढने बग़ैर तेरे? नाम-ओ-निशां भी मेरा ख़ाक में मिल जायेगा। ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।