क्यों ले आते हो बार-बार दिल को सवालों के कटघरे में? तुम तो देते नहीं जवाब, उसे क्यों छोड़ जाते हो कंगरे में? ख़ामोशी को वक़ील मत बनाओ, आता नहीं हमें लड़ना, ग़ैर से अच्छा,तुम ख़ुद क्यों नहीं चले आते हो मशवरे में? तुम्हें अंदाज़ा भी है दर्द का, या गिला नहीं तो सोचा नहीं? होके बेफ़िक्र सब दफ़्न क्यों नहीं कर जाते हो मक़बरे में? कंगरे- Border 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।