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Suchita Pandey
'सवालों के कटघरे में' , निरंतर खड़ी रही मैं.. उन सवालों में, जिसका जवाब भी ख़ुद ही देते रहे सब, उनमे पिसती रही मैं.. गवारा नहीं मुझे कि अब कमतर समझा जाये मुझे खुद से, शक करें मेरी क़ाबिलियत पर , सिर्फ इसलिये कि औरत हूँ मैं.. 'सवालों के कटघरे में' खड़े करते रहें मुझे, अपनी उँगलियों पर नचाते रहें मुझे, गवारा नहीं अब कि हर पल परखी जाऊ मैं.. सिर्फ इसलिये कि औरत हूँ मैं.. 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Insprational Qoute
हर कोई खड़ा है इन सवालों के कटघरे में, डूबा जा रहा सारा संसार गहरे गह्वर में, सवाल भी बाकमाल संगीन व ग़मगीन हैं, आंखों का धोखा हैं,कि जिंदगी बड़ी रंगीन हैं, स्वयं अनैतिकता पर,नैतिकता का उपदेश, झूठ का चोला पहन,ऊपरी सत्यता हैं भेष, इंसान इन्सान पर हावी हैं, झूठा अभिमान, इंसानियत शर्मशार,बढ़ा रहा फ़क़त पहचान। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Divyanshu Pathak
दुनिया में आते ही भूख लगी और हम रो दिये। फिर पेट भरने में ही ये उम्र सारी खो दिये। शौक़ बढ़ने लगे और ज़रूरतें कम न हुईं! अपनेपन के खेत पड़े जो नफ़रत उनमें बो दिये। मोहब्बत की तो दर्द मिला ग़म मिले शिक़वे हुए! जो शिक़ायत हमने की तो दिल हमारे रो दीये। क्या पाया क्या खोया हमने! सोच हम बैठे रहे। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Suman Rakesh Shah
आज मैने अपने दिल को खडा कर दिया क्योंकि थक गई हूँ उसकी मनमर्ज़ी से कभी तो सुने दिमाग की, दिमाग अपने अनुभव से कुछ कहता है और ये दिल चोट खाकर भी पिघल जाता है स्थिर रहना गलत नही है, मजबूत बनना और दिखना दोनो ही वक़्त और हालात होते है जिन्हे सभी को स्वीकारना होता है 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
DR. SANJU TRIPATHI
बचपन से नारी को संस्कारों की चादर उढाई गई। दुनिया की हर रीति सदा नारी को समझाई गई। नारी होने के सारे ही फर्ज उसे गिनाए गए, कभी बेटी, कभी बहन तो कभी पत्नी बनने के, मां बनकर नारी ने ही सबको पाला, जब नारी संस्कारों से भरी है, तो वो नारी है सिर्फ इसलिए सवालों के कटघरे में हमेशा मुजरिम बनकर खड़ी रहेगी। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Sangeeta Patidar
क्यों ले आते हो बार-बार दिल को सवालों के कटघरे में? तुम तो देते नहीं जवाब, उसे क्यों छोड़ जाते हो कंगरे में? ख़ामोशी को वक़ील मत बनाओ, आता नहीं हमें लड़ना, ग़ैर से अच्छा,तुम ख़ुद क्यों नहीं चले आते हो मशवरे में? तुम्हें अंदाज़ा भी है दर्द का, या गिला नहीं तो सोचा नहीं? होके बेफ़िक्र सब दफ़्न क्यों नहीं कर जाते हो मक़बरे में? कंगरे- Border 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
yogesh atmaram ambawale
सवालों के कटघरे में खड़ा मैं अनगिनत सवालों से घेरा रहा| क्या जवाब दू उन सवालों का जिनके जवाब मैं खुद ढूंढता रहा| पूछे अगर भगवान कभी क्या किया तूने जन्म पाकर क्या तेरा कर्म रहा| जवाब दू तू ही करता धरता जो तूने करवाया वही मैं करता रहा| मुश्क़िल हैं जवाब,कर्म क्या करता रहा अपने कर्मो का ना मैं हिसाब रखता रहा| 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Shankki Sharma
यँहा हर तरफ़ चोरों के पहरे है यँहा सच सुनते समय हो जाते सब बहरे है यँहा बाबाओ के भेष में होते बलात्कारी है यँहा गन्दे काम करने वाले कहलाते संस्कारी है यँहा जज भी आ जाते है सवालों के कटघरे में यँहा पुलिस भी आ जाती है शक़ के घेरे में यँहा वो बेकसूर है, जिसकी जेब में नोट है ग़रीब पर यँहा हर कोई मारता चोट है। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
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