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अभी वक़्त मेरा नहीं सही वक़्त का इंतजार करते हैं मन

अभी वक़्त मेरा नहीं
सही वक़्त का इंतजार करते हैं
मन को इसी भरम से
अक्सर दो चार करते हैं..
जीने कि आरजू नहीं
फिर भी सांसे उधार लेते हैं
इन बही खातों से हम
मन को उलझाये रखते हैं..
टुटा मुझमे, बिखरा है कुछ
उनको सवारते रहते हैं
दिल को बेदिली से हम
हौसलों कि धार दिया करते हैं..

©जागृती.. (जय पाठक)
  #भरम