तुम गई हो,तुम्हारी यादें अब भी बाकी है । मेरी जां,मेरे जिस्म में अभी जां बाकी है ।। जब तलक सांसो का मंज़िल बेखबर है । मुझमें उम्मीदों का पूरा बियाबां बाकी है ।। अभी तो उड़ाने भरी भी नहीं है मैंने । नापने को अभी पूरा आसमां बाकी है ।। अंधेरा जरूर है, अभी मेरे शहर में । पर सूरज का नया प्रभात बाकी है ।। मुरझाए से जो दरख्ते है,उनमें जां बाकी है । अभी तो आने को,पूरा बरसात बाकी है ।। तुम गई हो,तुम्हारी यादें अब भी बाकी है । मेरी जां,मेरे जिस्म में अभी जां बाकी है ।। तुम गई हो,तुम्हारी यादें अब भी बाकी है । मेरी जां,मेरे जिस्म में अभी जां बाकी है ।। #yqgazal #yqghazal #yqtwoliner #yqtwolines #yqbaba