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सखी वैभव विलास के अति मोह में गांठ पड़ने लगी आपसी

सखी वैभव विलास के अति मोह में 
गांठ पड़ने लगी आपसी रिश्तों की डोर में 
और अब तो खुले बगैर ही गांठ जल रही है 
सुलझने की बजाय सुलगने को मचल रही है 
राख में तब्दील होके भी अपने बल छोड़ जाएगी
रस्सी रिश्ते की आंखों  को सजल छोड़ जाएगी
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla बलMili Saha 0 MohiTRocK F44 Lalit Saxena Ashutosh Mishra Sethi Ji
सखी वैभव विलास के अति मोह में 
गांठ पड़ने लगी आपसी रिश्तों की डोर में 
और अब तो खुले बगैर ही गांठ जल रही है 
सुलझने की बजाय सुलगने को मचल रही है 
राख में तब्दील होके भी अपने बल छोड़ जाएगी
रस्सी रिश्ते की आंखों  को सजल छोड़ जाएगी
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla बलMili Saha 0 MohiTRocK F44 Lalit Saxena Ashutosh Mishra Sethi Ji