ग़ज़ल :- बात दिल की बता दूँ अगर तुम कहो । माँग तेरी सजा दूँ अगर तुम कहो ।।१ चाँद जो छुप रहा जुल्फ़ की आड़ में । चाँद फिर से बुला दूँ अगर तुम कहो ।।२ किस तरह आज बहका रहे लोग है । आज पर्दा उठा दूँ अगर तुम कहो ।।३ चाल जो चल गये दोस्त तेरे यहाँ । राज़ उनके बता दूँ अगर तुम कहो ।।४ जो तुम्हारा यहाँ है सुनो बेटियों । शख़्श से उस मिला दूँ अगर तुम कहो ।।५ इक पिता ही तुम्हारा भला सोचता । ये गुरु से लिखा दूँ अगर तुम कहो ।।६ भूल आगे नहीं अब करोगे कभी । शर्त पे इस छुपा दूँ अगर तुम कहो ।।७ माफ कितनी खताएं अभी तक किया । एक हो तो गिना दूँ अगर तुम कहो ।। ८ जो किया है खता आज तुमने प्रखर । बात वो भी दबा दूँ अगर तुम कहो ।।९ ०३/०३/ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बात दिल की बता दूँ अगर तुम कहो । माँग तेरी सजा दूँ अगर तुम कहो ।।१ चाँद जो छुप रहा जुल्फ़ की आड़ में । चाँद फिर से बुला दूँ अगर तुम कहो ।।२ किस तरह आज बहका रहे लोग है ।