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मुझे आज लग रहा है मै हर बंधन से आज़द हो जाऊ। हर ब

मुझे आज लग रहा है मै हर बंधन से आज़द हो जाऊ। 
हर बंधन को तोड मै मेरे इच्छा से उड़ान भरु।
मुझे ना रिश्तेदारो की टोली चाहिए ना जिम्मेदारी का बोझ चाहिए। 
ना परंपरा ओ का दिखावा,किसीके ऐहसानो का बोझ मन पे नही चाहिए।
ना ऐसा कोई चाहिए जो मुझपे हक बताऐ ना ऐसा भी की जिसपे मै हक जताऊँ
ना चाहिए बाते सुनाना वाला समाज। 
आज किसीकी बाते नही सुनना चाहते। 
मौन होके इस सृष्टि का आनंद लेना चाहती हूँ। मै मुझमे ही खो जाऊँ। मेरे आँसू पोछने सिर्फ मेरी ही हाथ उठे।

मुझे आज लग रहा है मै हर बंधन से आज़द हो जाऊ। हर बंधन को तोड मै मेरे इच्छा से उड़ान भरु। मुझे ना रिश्तेदारो की टोली चाहिए ना जिम्मेदारी का बोझ चाहिए। ना परंपरा ओ का दिखावा,किसीके ऐहसानो का बोझ मन पे नही चाहिए। ना ऐसा कोई चाहिए जो मुझपे हक बताऐ ना ऐसा भी की जिसपे मै हक जताऊँ ना चाहिए बाते सुनाना वाला समाज। आज किसीकी बाते नही सुनना चाहते। मौन होके इस सृष्टि का आनंद लेना चाहती हूँ। मै मुझमे ही खो जाऊँ। मेरे आँसू पोछने सिर्फ मेरी ही हाथ उठे। #Life #lonely #marathi #MarathiKavita #aayush

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