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जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है , इन्सान कहाने का

जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है ,
इन्सान कहाने का वो हक़दार  नहीं है।

जो शान  में नेता की  क़सीदे रहे  पढ़ता ,
हरगिज़ वो कोई अच्छा क़लमकार नहीं है।

सुनता न  रियाया का  है दुख-दर्द कभी जो ,
वो मुल्क़ का मुखिया तो समझदार नहीं है।

साज़िश थी रची ऐसी  हुए क़त्ल हज़ारों,
मुंसिफ़ ने  भी ठहराया  गुनहगार नहीं है ।

भाषण में  बड़ा तेज  कई  रँग  बदलता ,
इस मुल्क़ में उस जैसा अदाकार नहीं है ।

मिलता है गरीबों से वो पोशाक बदल कर,
क्यूँ लोग  ये कहते वो  मिलनसार नहीं है ।

आज़ाद है अपराध सरेआम जो करता ,
जो जेल  में है बंद  ख़तावार  नहीं है ।

©दीप बोधि
  
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जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है ,
इन्सान कहाने का वो हक़दार  नहीं है।

जो शान  में नेता की  क़सीदे रहे  पढ़ता ,

2 2 1 1 2 2 1 1 2 2 1 1 2 2 1. जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है , इन्सान कहाने का वो हक़दार नहीं है। जो शान में नेता की क़सीदे रहे पढ़ता , #शायरी

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