"कैसे क्या सुनाऊं" अब तो सताने की हमें जैसे उनकी ये आदत सी हो गई, दिख जो जाएं कहीं झलक भर भी तो समझो कि दावत सी हो गई। कब से सुना नहीं मेरे इन कानों ने खनकते लवों को उनके , होता है शक कभी कभी जैसे उनको कुछ अदाबत सी हो गई। आंखें गीली रातें काली बोझिल से हुए दिन बेचारे हैं, रूह तक गुमसुम ऐसी कि गुमशुदा यहां बगावत सी हो गई है। वो देख कर भी अनदेखा ना मालुम क्यों करने लगी है आजकल, फिर भी उनकी इन अदाओं पर आदतन शराफ़त सी हो गई है। अब इस इश्क पर तुझको नज़्म कैसे क्या सुनाऊं मैं 'बादल' जब, अपनी ही मोहब्बत यहां अपने लिए आफ़त सी हो गई है। राजेश गुप्ता'बादल'मुरैना मध्यप्रदेश (02/09/2020) #shayri #आदत #खनक_लवों_की #अदावत #बगावत #शराफ़त #आफ़त #रूह #गुमसुम #nojoto