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बहुत वक्त से कोई नज्म नही लिखी आज सोचे लिख दी जाय

बहुत वक्त से कोई नज्म नही लिखी 
आज सोचे लिख दी जाये
तो कहता हू की 
इश्क की दास्ता को खुल्ला न रखो
रातो से रिश्ता न रखो
जैसे गुजर रही है गुजार दो
दिल का खाली कोई हिस्सा न रखो
रातो से रिश्ता न रखो 
कै क्या ख्वाहिशो के बैगर जी नही सकते
ये उलझन और चिन्ता न रखो
रातो से रिश्ता न रखो
रखो सचाई से राबता झुठो से 
हमेशा तुम बचो
रातो से रिश्ता न रखो 
न हो बाहो मै कोई मगर
सुकुन से ही हमेशा तुम जियो 
रातो से रिश्ता न रखो 

कनक तेलंग

©kt #Rishta 
#Rishta
बहुत वक्त से कोई नज्म नही लिखी 
आज सोचे लिख दी जाये
तो कहता हू की 
इश्क की दास्ता को खुल्ला न रखो
रातो से रिश्ता न रखो
जैसे गुजर रही है गुजार दो
दिल का खाली कोई हिस्सा न रखो
रातो से रिश्ता न रखो 
कै क्या ख्वाहिशो के बैगर जी नही सकते
ये उलझन और चिन्ता न रखो
रातो से रिश्ता न रखो
रखो सचाई से राबता झुठो से 
हमेशा तुम बचो
रातो से रिश्ता न रखो 
न हो बाहो मै कोई मगर
सुकुन से ही हमेशा तुम जियो 
रातो से रिश्ता न रखो 

कनक तेलंग

©kt #Rishta 
#Rishta