बहुत वक्त से कोई नज्म नही लिखी आज सोचे लिख दी जाये तो कहता हू की इश्क की दास्ता को खुल्ला न रखो रातो से रिश्ता न रखो जैसे गुजर रही है गुजार दो दिल का खाली कोई हिस्सा न रखो रातो से रिश्ता न रखो कै क्या ख्वाहिशो के बैगर जी नही सकते ये उलझन और चिन्ता न रखो रातो से रिश्ता न रखो रखो सचाई से राबता झुठो से हमेशा तुम बचो रातो से रिश्ता न रखो न हो बाहो मै कोई मगर सुकुन से ही हमेशा तुम जियो रातो से रिश्ता न रखो कनक तेलंग ©kt #Rishta #Rishta