सुबह सुबह मौसम ने ली करवते, दिल के तेवर बदले और, तमन्ना हुई चाय की। मेरे चेहरे की ये तलप देख, उसने चाय पेश की मेरे समक्ष। बारिश की साक्षी में, तेरे साथ की प्राप्ति। टप टप गिरती बारिश की बूंदे, और ये तेरी मीठी मधुर बातें। खुशनसीब हु में जो मुझे मिली, तुम और तुम्हारे हाथ की चाय। सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "चाय, बारिश और तुम" बहुत ही ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌼आपके भाग लेने का समय आज रात्रि 12 बजे तक है,