हम दर बदल तुम्हे ही तलाशते रहे, बेपरवाह बन कर तुझमे ख्वाबों को तस्दीक देते रह गये। हम दर बदल तुम्हे ही तलाशते रहे, गहरी सिलवटे जो पड़ी है रोजमर्रा के ख्वाबो पर तूझको ही बयान देते रह गये। - इट्स #d@!ly#l!f£#&ch£dul!ng#l!f£#chn!ng#m00d