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स्त्री हूँ, संस्कारो की बेड़ी में जकड़ी हूँ,

स्त्री हूँ, संस्कारो   की   बेड़ी     में जकड़ी हूँ, पर पँखो में जान अभी बाकी है।
भरनी   है हौसलों    की उड़ान ,अपने हिस्से का पाना आसमान अभी बाकी है।

नही   रुकूँगी    इरादा    पक्का  है ,अपने  सपनो   से भी वादा   सच्चा   है।
छू  लेना  है सपनो  का आकाश ,जीत की भी भरनी छलांग अभी बाकी है।।

©poonam atrey
  #उड़ान  Praveen Jain "पल्लव" Mahi दिनेश कुशभुवनपुरी Lalit Saxena Poonam Suyal  एक अजनबी Deep Payal Das Ashutosh Mishra sukoon  Navash2411 भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) वंदना .... Kamlesh Kandpal  Sethi Ji Balwinder Pal Mili Saha खामोशी और दस्तक पथिक..  Sita Prasad Badal Singh Kalamgar kumar samir मनोज मानव R K Mishra " सूर्य "  Rakesh Srivastava Anil Ray Bhavana kmishra डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Puja Udeshi  -hardik Mahajan अदनासा- Utkrisht Kalakaari Saloni Khanna Bhardwaj Only Budana  Sunita Pathania Rajesh Arora अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर HINDI SAHITYA SAGAR shashi kala mahto  प्रज्ञा Anshu writer Ambika Mallik @Dil_E_Nadan Raj Guru  काव्यार्पण narendra bhakuni Suresh Gulia Noor Hindustanai shayri